खैर....
चैन छीन ली है तुम्हारी चमक ने और कहते हो मैं तो ऐसा ही हूँ,,
कितने फासले है हमारे दरमियाँ और तुम कहते हो मुनासिफ भी है..
जिंदगी मौत सी बन गयी है और पूछते हो सब खैरियत तो है...
हज़ारो तारो में मग़रूर तुम ,तुम्हारा हर अंतरा मेरा ही तो है.....#चाँद
श्रेयशी