White राहों का गीत चलो कुछ राहें बनाते हैं, खुद क | हिंदी कविता

"White राहों का गीत चलो कुछ राहें बनाते हैं, खुद को फिर से आजमाते हैं। जो खोया नहीं, वो पाया नहीं, जो थमा रहा, वो जिया नहीं। सपनों की चादर बुनते हैं, अरमानों से रिश्ते चुनते हैं। हर मोड़ पर एक किस्सा नया, हर ग़म में छिपा है ख़ुशियों का साया। चलो हवा से बात करते हैं, दर्द को गीतों में बदलते हैं। जो मंज़िल नहीं, वो सफर सही, जो गिरकर संभला, वो जांबाज़ सही। चमकते सूरज की कसम खाकर, रातों को रोशन बनाते हैं। चलो कुछ राहें बनाते हैं, खुद को फिर से आजमाते हैं। ©Er.Kamlesh Kumar Rajbhar"

 White राहों का गीत

चलो कुछ राहें बनाते हैं,
खुद को फिर से आजमाते हैं।
जो खोया नहीं, वो पाया नहीं,
जो थमा रहा, वो जिया नहीं।

सपनों की चादर बुनते हैं,
अरमानों से रिश्ते चुनते हैं।
हर मोड़ पर एक किस्सा नया,
हर ग़म में छिपा है ख़ुशियों का साया।

चलो हवा से बात करते हैं,
दर्द को गीतों में बदलते हैं।
जो मंज़िल नहीं, वो सफर सही,
जो गिरकर संभला, वो जांबाज़ सही।

चमकते सूरज की कसम खाकर,
रातों को रोशन बनाते हैं।
चलो कुछ राहें बनाते हैं,
खुद को फिर से आजमाते हैं।

©Er.Kamlesh Kumar Rajbhar

White राहों का गीत चलो कुछ राहें बनाते हैं, खुद को फिर से आजमाते हैं। जो खोया नहीं, वो पाया नहीं, जो थमा रहा, वो जिया नहीं। सपनों की चादर बुनते हैं, अरमानों से रिश्ते चुनते हैं। हर मोड़ पर एक किस्सा नया, हर ग़म में छिपा है ख़ुशियों का साया। चलो हवा से बात करते हैं, दर्द को गीतों में बदलते हैं। जो मंज़िल नहीं, वो सफर सही, जो गिरकर संभला, वो जांबाज़ सही। चमकते सूरज की कसम खाकर, रातों को रोशन बनाते हैं। चलो कुछ राहें बनाते हैं, खुद को फिर से आजमाते हैं। ©Er.Kamlesh Kumar Rajbhar

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