चलो, आज विदाई का दिन आ गया, सपनों का वो सफर थम सा | हिंदी Poetry

"चलो, आज विदाई का दिन आ गया, सपनों का वो सफर थम सा गया। कभी जो मिले थे अजनबी राहों में, अब बन गए हैं यादों के गहरे साये। कक्षाओं की वो हंसी-ठिठोली, वो किताबों के बोझ में छुपी शोखियां भोली। प्रोजेक्ट की रातें और असाइनमेंट के दिन, वो संघर्ष, वो हौसले और जीत का यकीन। कॉरिडोर की गूंज, वो कैंटीन का खाना, संग बैठकर हर पल को था बस निभाना। मंच पर वो भाषण, वो नाटक, वो गीत, हर क्षण को हमने दिया अपनी रीत। दोस्तों के संग वो बेपरवाह बातें, शरारत भरे वो लम्हे और खट्टी-मीठी रातें। कभी खफा, तो कभी गले लग जाना, रिश्तों का ये जादू सदा ही निभाना। आज जब ये पल हमें छोड़ रहा है, दिल में एक अजीब सा शोर हो रहा है। मुस्कान के साथ, आंखें भी हैं नम, सपनों को बुनते हैं, पर बीता हुआ है गम। मंजिलें नई, सफर नया होगा, जीवन का हर दिन अब अलग धुआं होगा। पर ये वादा है, ये रिश्ता अटूट रहेगा, हर मोड़ पर ये यादों का पुल बांधता रहेगा। तो चलो, इस विदाई को मुस्कान से स्वीकारें, अपने सपनों की ओर हम कदम बढ़ाएं। मगर जो बीते हुए पल हैं, वो अमर रहेंगे, इन यादों के सहारे हम सदा बढ़ते रहेंगे। ©sameer Kumar"

 चलो, आज विदाई का दिन आ गया,
सपनों का वो सफर थम सा गया।
कभी जो मिले थे अजनबी राहों में,
अब बन गए हैं यादों के गहरे साये।

कक्षाओं की वो हंसी-ठिठोली,
वो किताबों के बोझ में छुपी शोखियां भोली।
प्रोजेक्ट की रातें और असाइनमेंट के दिन,
वो संघर्ष, वो हौसले और जीत का यकीन।

कॉरिडोर की गूंज, वो कैंटीन का खाना,
संग बैठकर हर पल को था बस निभाना।
मंच पर वो भाषण, वो नाटक, वो गीत,
हर क्षण को हमने दिया अपनी रीत।

दोस्तों के संग वो बेपरवाह बातें,
शरारत भरे वो लम्हे और खट्टी-मीठी रातें।
कभी खफा, तो कभी गले लग जाना,
रिश्तों का ये जादू सदा ही निभाना।

आज जब ये पल हमें छोड़ रहा है,
दिल में एक अजीब सा शोर हो रहा है।
मुस्कान के साथ, आंखें भी हैं नम,
सपनों को बुनते हैं, पर बीता हुआ है गम।

मंजिलें नई, सफर नया होगा,
जीवन का हर दिन अब अलग धुआं होगा।
पर ये वादा है, ये रिश्ता अटूट रहेगा,
हर मोड़ पर ये यादों का पुल बांधता रहेगा।

तो चलो, इस विदाई को मुस्कान से स्वीकारें,
अपने सपनों की ओर हम कदम बढ़ाएं।
मगर जो बीते हुए पल हैं, वो अमर रहेंगे,
इन यादों के सहारे हम सदा बढ़ते रहेंगे।

©sameer Kumar

चलो, आज विदाई का दिन आ गया, सपनों का वो सफर थम सा गया। कभी जो मिले थे अजनबी राहों में, अब बन गए हैं यादों के गहरे साये। कक्षाओं की वो हंसी-ठिठोली, वो किताबों के बोझ में छुपी शोखियां भोली। प्रोजेक्ट की रातें और असाइनमेंट के दिन, वो संघर्ष, वो हौसले और जीत का यकीन। कॉरिडोर की गूंज, वो कैंटीन का खाना, संग बैठकर हर पल को था बस निभाना। मंच पर वो भाषण, वो नाटक, वो गीत, हर क्षण को हमने दिया अपनी रीत। दोस्तों के संग वो बेपरवाह बातें, शरारत भरे वो लम्हे और खट्टी-मीठी रातें। कभी खफा, तो कभी गले लग जाना, रिश्तों का ये जादू सदा ही निभाना। आज जब ये पल हमें छोड़ रहा है, दिल में एक अजीब सा शोर हो रहा है। मुस्कान के साथ, आंखें भी हैं नम, सपनों को बुनते हैं, पर बीता हुआ है गम। मंजिलें नई, सफर नया होगा, जीवन का हर दिन अब अलग धुआं होगा। पर ये वादा है, ये रिश्ता अटूट रहेगा, हर मोड़ पर ये यादों का पुल बांधता रहेगा। तो चलो, इस विदाई को मुस्कान से स्वीकारें, अपने सपनों की ओर हम कदम बढ़ाएं। मगर जो बीते हुए पल हैं, वो अमर रहेंगे, इन यादों के सहारे हम सदा बढ़ते रहेंगे। ©sameer Kumar

#sameerjeena

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