लालटेन कभी उजाला मैं करता था आज पड़ा बेकार हूँ ठ | हिंदी कविता

"लालटेन कभी उजाला मैं करता था आज पड़ा बेकार हूँ ठुकराया मानव ने मुझको चिड़ियों का घर द्वार हूँ मानव की यह प्रकृति है जब वह नये दौर में जाता है तब अतीत से रिश्ते नाते निष्ठुर बन ठुकराता है विद्युत ऊर्जा से आलोकित अब उसका संसार हुआ लालटेन कहता कबाड़ मैं बनकरके लाचार हुआ अब चिड़ियों ने अपना कर अपना संसार बसाया है मेरा वजूद अब भी बाकी मुझको अहसास कराया है बेखुद मैं बूढ़ा हूँ बेशक अरमान अभी भी जिंदा है उसको न कभी मरने दूँगा जब तक मेरे संग परिंदा है ©Sunil Kumar Maurya Bekhud"

 लालटेन

कभी उजाला मैं करता था 
आज पड़ा बेकार हूँ
ठुकराया मानव ने मुझको
चिड़ियों का घर द्वार हूँ

मानव की यह प्रकृति है जब वह
नये दौर में जाता है
तब अतीत से रिश्ते नाते
निष्ठुर बन ठुकराता है

विद्युत ऊर्जा से आलोकित
अब उसका संसार हुआ
लालटेन कहता कबाड़ 
मैं बनकरके लाचार हुआ

अब चिड़ियों ने अपना कर
अपना संसार बसाया है
मेरा वजूद अब भी बाकी
मुझको अहसास कराया है

बेखुद मैं बूढ़ा हूँ बेशक
अरमान अभी भी जिंदा है
उसको न कभी मरने दूँगा
जब तक मेरे संग परिंदा है

©Sunil Kumar Maurya Bekhud

लालटेन कभी उजाला मैं करता था आज पड़ा बेकार हूँ ठुकराया मानव ने मुझको चिड़ियों का घर द्वार हूँ मानव की यह प्रकृति है जब वह नये दौर में जाता है तब अतीत से रिश्ते नाते निष्ठुर बन ठुकराता है विद्युत ऊर्जा से आलोकित अब उसका संसार हुआ लालटेन कहता कबाड़ मैं बनकरके लाचार हुआ अब चिड़ियों ने अपना कर अपना संसार बसाया है मेरा वजूद अब भी बाकी मुझको अहसास कराया है बेखुद मैं बूढ़ा हूँ बेशक अरमान अभी भी जिंदा है उसको न कभी मरने दूँगा जब तक मेरे संग परिंदा है ©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#लालटेन

People who shared love close

More like this

Trending Topic