घर के अंदर जी भर के रो लो, पर दरवाजा हंस कर ही खोल | हिंदी Poetry

"घर के अंदर जी भर के रो लो, पर दरवाजा हंस कर ही खोलो। ©RAMAKANT PATEL"

 घर के अंदर जी भर के रो लो,
पर दरवाजा हंस कर ही खोलो।

©RAMAKANT PATEL

घर के अंदर जी भर के रो लो, पर दरवाजा हंस कर ही खोलो। ©RAMAKANT PATEL

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