Jai shree ram मंगल गान खुशियों भरे हमनें गाये,
रघुवर अयोध्या वापस लोट आये,
धर्म ध्वजा भी गगन मे लहरा रही,
स्वागत मे दीप द्वार द्वार रहे जलाये,,
प्रभात फेरि हर्षोल्लास से निकाली,
सूर्य की नित देखी मनोरम लाली,
श्री राम की धुन मे पेर स्वतः थिरके
झूम उठी पत्ती पत्ती डाली डाली ,,
नगर नगर द्वार द्वारसजा दिए सारे,
रंगोली मे भक्ति रंग गहरे उतारे,
कण कण यहाँ राम राम बोले,
ह्रदय मे उतरे सरयू के धारे,,
पुण्य धरा पर उतरा स्वर्ग है,
दारुण भावो का उत्सर्ग है,
देवताओ नें यहाँ चरण धरे, महायज्ञ
मे आहुति का जोडा उन्होंने प्रसंग है,,
क्षमा प्रार्थी है राघव हम आपसे,
मुक्त ना हो पा रहे हम संताप से,
ह्रदय व्यथित है जल्द मुक्त ना कर-
पाये आपको वनवास के श्राप से,,
बलिदानियों के बलिदानो से,
पत्थर पत्थर रज रज के प्रमाणो से,
सुंदर महल बनाया है राघव, रावण
पराजित हुए यहा तर्क के बाणो से,,
मिला जो शोभाग्य कर दिखाया,
भाग्य अपना ऐसा लिखवाया,
सनातनी वैभव को कर्तव्यनिष्ठ हो
हमने शीलाओ पे भव्य सजाया,,
अलौकिक छटा लिए वो छण हुए,
शंख,नगाड़े, घंटीयो के जो स्वर हुए,
दर्शन दिए जब रघुवर नें महल मे,
भाग्यशाली समझ भाव विभोर हुए,,
राम लला लगे है कितने प्यारे,
स्नेह बरसाते नेनो से हमें निहारे,
मुरत से नजर हट हीं ना पाये, बड़े
मनमोहक लगे दशरथ के राजदुलारे,,,
✍️नितिन कुवादे...
©Nitin Kuvade
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