सामने आगई
देख कर उस को
मै दंग रह गया
जब बिछडे थे तब वो
एक मासूम सी थी
आज वो 2 बच्चों की
कई बच्चों को पाल रही है
मैने पूछा " ये सब क्या है ?
तूम तो बोली थी कि सादी
कर के एश करूंगी फिर
ये सब कैसे क्या हूआ "
उसने बडे सरल तरीके से जवाब दिया
" जिन्दगी वो सब करा देतो है
जो हम कभी करना नही चहाते
ये बच्चे मेरे साथ और
मै इन बच्चों के साथ
यूँ समझ लो जिन्दगी का खेल है "
ये बोल कर वो सारे बच्चों को
साथ लेकर चली गई
और जाते जाते मूझे जिन्दगी
जीने का मकसद दे गई
जिस की मूझे कदर नही थी
उस अपने पन का एहसान करा गई
आज उस के लिए मेरे दिल मे
प्यार के साथ साथ
इज्ज़त और भी ज्यादा बढ गई ।
(चाँदनी)