डर होता है सबको भीड़ में खोने का, डर होता है कहीं | हिंदी कविता
"डर होता है सबको भीड़ में खोने का,
डर होता है कहीं गुमनाम ना हो जाए
कुछ देर ही सही, गौर कर अपने कर्म पर भी
जिस नाम के लिए हर पल तरस रहे हो, कहीं वो बदनाम ना हो जाए।"
डर होता है सबको भीड़ में खोने का,
डर होता है कहीं गुमनाम ना हो जाए
कुछ देर ही सही, गौर कर अपने कर्म पर भी
जिस नाम के लिए हर पल तरस रहे हो, कहीं वो बदनाम ना हो जाए।