कहते है कि जैसे हम किताब के cover को देखकर उस किताब के बारे में बता नहीं सकते वैसे ही हम किसी को एक बार मिलकर उस इंसान को परख नहीं सकते।
अगर किसी इंसान को हमें समझना है तो उसके साथ हमें थोड़ा वक्त गुजारना होगा।
उसके साथ बात करनी होगी तब हम उसके विचारों को उसका लोगो कि तरफ देखने का नजरिया समझ सकते है।
©pallavi haribhau gahal
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