White मैं क्यों फिक्र करूं अपनी सांसों की मेरा मसी | हिंदी Shayari

"White मैं क्यों फिक्र करूं अपनी सांसों की मेरा मसीहा फिक्र करे अपने बंदे की ! वो ही तो लाया अपनी मर्जी से मुझे यहां फिर मैं क्यों सोचूं जल्दी वापिस जाने की ! वो ही कर्ता है वो ही कर्म करवायेगा मुझसे अच्छा बुरा वो जाने मैं क्यों सोचूं फल की ! मेरी बीमारी से निज़ात दिलवाएगा वो मुझे मैं क्यों खुशामद करूं इन महंगे हकीमों की !! ©Anjali Nigam"

 White मैं क्यों फिक्र करूं अपनी सांसों की
मेरा मसीहा फिक्र करे अपने बंदे की !

वो ही तो लाया अपनी मर्जी से मुझे यहां
फिर मैं क्यों सोचूं जल्दी वापिस जाने की !

वो ही कर्ता है वो ही कर्म करवायेगा मुझसे
अच्छा बुरा वो जाने मैं क्यों सोचूं फल की !

मेरी बीमारी से निज़ात दिलवाएगा वो मुझे
मैं क्यों खुशामद करूं इन महंगे हकीमों की !!

©Anjali Nigam

White मैं क्यों फिक्र करूं अपनी सांसों की मेरा मसीहा फिक्र करे अपने बंदे की ! वो ही तो लाया अपनी मर्जी से मुझे यहां फिर मैं क्यों सोचूं जल्दी वापिस जाने की ! वो ही कर्ता है वो ही कर्म करवायेगा मुझसे अच्छा बुरा वो जाने मैं क्यों सोचूं फल की ! मेरी बीमारी से निज़ात दिलवाएगा वो मुझे मैं क्यों खुशामद करूं इन महंगे हकीमों की !! ©Anjali Nigam

#फिक्रमंद.....

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