White अपने पिता को समर्पित कुछ पँक्तियाँ.... हाथ | हिंदी कविता

"White अपने पिता को समर्पित कुछ पँक्तियाँ.... हाथ पकड़ कैं तेरा हामनै, चालणा सीख्या था बाब्बू पकड़ आंगली तेरी हामनै , धरती पै टेक्या पा बाब्बू आँधी म्हं आगै अड़कैं, बारीश म्हं छतरी बण कैं तनै ओट करी कुनबे की, जाड्डे म्हं कम्बळ बण कैं गरम दोपहरी जेठ के म्हं, तू पीपळ की छां बाब्बू पकड़ आँगळी तेरी हामनै, धरती पै टेक्या पा बाब्बू माँगण तैं पहल्यां तनै, पूरी करी फरमायश म्हारी रोटी कपड़ा, खेल खल्होणे, जो भी थी ख्वायश म्हारी म्हारे तैं दी चुपड़ी रोटी, तनै रूखी सूखी खा बाब्बू पकड़ आँगली तेरी हामनै, धरती पै टेक्या पा बाब्बू जद दुखण लागै पा मेरे, था त्यार तेरा कँधा बाब्बू ठोकर खा कै पड़ज्यां था, तो तू लेवै था ठा बाब्बू जद हो ग्या घोर अँधेरा था, तनै दिखाई राह बाब्बू पकड़ आँगळी तेरी हामनै, धरती पै टेक्या पा बाब्बू आठ जणे थे खाण आळे, तू एक जणा कमावणिया आठ जणे उळझावणिये, तू एक जणा सुळझावणिया क्यूकर कुणबा पाळ्या था,तनै के के मुश्किल ठा बाब्बू पकड़ आँगळी तेरी हामनै, धरती पै टेक्या पा बाब्बू तनै मारे पीट्टे धमकाये, बहोत बार छो म्हं आ कैं फेर लाड प्यार तैं पुचकारे, अपणे काळजे कै लाकैं भीतर तैं नरम मलाई था, तू बाहर तैं करड़ा बाब्बू पकड़ आँगळी तेरी हामनै, धरती पै टेक्या पा बाब्बू क्यूं हामनै धमकाया करता, क्यूं हामनै तू रोकै था क्यूं बार बार समझाया करता, बात बात पै टोकै था ईब समझ म्हं आया सै , जद मैं बाब्बू बणग्या बाब्बू पकड़ आँगली तेरी हामनै, धरती पै टेक्या पा बाब्बू हाथ पकड़ कैं तेरा हामनै, चालणा सीख्या था बाब्बू राजबीर खोरड़ा 21/06/2020 ©Rajbir Khorda"

 White अपने पिता को समर्पित कुछ पँक्तियाँ....

हाथ पकड़ कैं तेरा हामनै, चालणा सीख्या था बाब्बू
पकड़ आंगली तेरी हामनै , धरती पै टेक्या पा बाब्बू

आँधी म्हं आगै अड़कैं, बारीश म्हं छतरी बण कैं
तनै ओट करी कुनबे की, जाड्डे म्हं कम्बळ बण कैं
गरम दोपहरी जेठ के म्हं, तू पीपळ की छां बाब्बू
पकड़ आँगळी तेरी हामनै, धरती पै टेक्या पा बाब्बू

माँगण तैं पहल्यां तनै, पूरी करी फरमायश म्हारी
रोटी कपड़ा, खेल खल्होणे, जो भी थी ख्वायश म्हारी
म्हारे तैं दी चुपड़ी रोटी, तनै रूखी सूखी खा बाब्बू
पकड़ आँगली तेरी हामनै, धरती पै टेक्या पा बाब्बू

जद दुखण लागै पा मेरे, था त्यार तेरा कँधा बाब्बू
ठोकर खा कै पड़ज्यां था, तो तू लेवै था ठा बाब्बू
जद हो ग्या घोर अँधेरा था, तनै दिखाई राह बाब्बू
पकड़ आँगळी तेरी हामनै, धरती पै टेक्या पा बाब्बू

आठ जणे थे खाण आळे, तू एक जणा कमावणिया
आठ जणे उळझावणिये, तू एक जणा सुळझावणिया
क्यूकर कुणबा पाळ्या था,तनै के के मुश्किल ठा बाब्बू
पकड़ आँगळी तेरी हामनै, धरती पै टेक्या पा बाब्बू

तनै मारे पीट्टे धमकाये, बहोत बार छो म्हं आ कैं
फेर लाड प्यार तैं पुचकारे, अपणे काळजे कै लाकैं
भीतर तैं नरम मलाई था, तू बाहर तैं करड़ा बाब्बू
पकड़ आँगळी तेरी हामनै, धरती पै टेक्या पा बाब्बू

क्यूं हामनै धमकाया करता, क्यूं हामनै तू रोकै था
क्यूं बार बार समझाया करता, बात बात पै टोकै था
ईब समझ म्हं आया सै , जद मैं बाब्बू बणग्या बाब्बू
पकड़ आँगली तेरी हामनै, धरती पै टेक्या पा बाब्बू
हाथ पकड़ कैं तेरा हामनै, चालणा सीख्या था बाब्बू

राजबीर खोरड़ा
21/06/2020

©Rajbir Khorda

White अपने पिता को समर्पित कुछ पँक्तियाँ.... हाथ पकड़ कैं तेरा हामनै, चालणा सीख्या था बाब्बू पकड़ आंगली तेरी हामनै , धरती पै टेक्या पा बाब्बू आँधी म्हं आगै अड़कैं, बारीश म्हं छतरी बण कैं तनै ओट करी कुनबे की, जाड्डे म्हं कम्बळ बण कैं गरम दोपहरी जेठ के म्हं, तू पीपळ की छां बाब्बू पकड़ आँगळी तेरी हामनै, धरती पै टेक्या पा बाब्बू माँगण तैं पहल्यां तनै, पूरी करी फरमायश म्हारी रोटी कपड़ा, खेल खल्होणे, जो भी थी ख्वायश म्हारी म्हारे तैं दी चुपड़ी रोटी, तनै रूखी सूखी खा बाब्बू पकड़ आँगली तेरी हामनै, धरती पै टेक्या पा बाब्बू जद दुखण लागै पा मेरे, था त्यार तेरा कँधा बाब्बू ठोकर खा कै पड़ज्यां था, तो तू लेवै था ठा बाब्बू जद हो ग्या घोर अँधेरा था, तनै दिखाई राह बाब्बू पकड़ आँगळी तेरी हामनै, धरती पै टेक्या पा बाब्बू आठ जणे थे खाण आळे, तू एक जणा कमावणिया आठ जणे उळझावणिये, तू एक जणा सुळझावणिया क्यूकर कुणबा पाळ्या था,तनै के के मुश्किल ठा बाब्बू पकड़ आँगळी तेरी हामनै, धरती पै टेक्या पा बाब्बू तनै मारे पीट्टे धमकाये, बहोत बार छो म्हं आ कैं फेर लाड प्यार तैं पुचकारे, अपणे काळजे कै लाकैं भीतर तैं नरम मलाई था, तू बाहर तैं करड़ा बाब्बू पकड़ आँगळी तेरी हामनै, धरती पै टेक्या पा बाब्बू क्यूं हामनै धमकाया करता, क्यूं हामनै तू रोकै था क्यूं बार बार समझाया करता, बात बात पै टोकै था ईब समझ म्हं आया सै , जद मैं बाब्बू बणग्या बाब्बू पकड़ आँगली तेरी हामनै, धरती पै टेक्या पा बाब्बू हाथ पकड़ कैं तेरा हामनै, चालणा सीख्या था बाब्बू राजबीर खोरड़ा 21/06/2020 ©Rajbir Khorda

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