देख नजारा प्रकृति का ये कितना मन को,
लुभाता है यहां पर्वत पर, मेघ भी हवाओं संग,
बारिश ले आता है।
धरती भी मुस्कुराती हे
सोंधी खुशबु हवाओं में महक उठती है।
पंछियों की चहक से यह वादियां भी गूंज उठती हे
सूरज की किरणें भी अब मोती बनकर झिलमिलाती हैं।
©Manthan's_kalam
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