मन को समेटे मैं बन जाऊ शायर, टूटे टुकड़े उठाने मुझे | हिंदी शायरी

"मन को समेटे मैं बन जाऊ शायर, टूटे टुकड़े उठाने मुझे है दवातो से भरते कहा है जख्म भी, भुलाये जो किस्से सुनाने मुझे है ©deshank sharma"

 मन को समेटे मैं बन जाऊ शायर,
टूटे टुकड़े उठाने मुझे है

दवातो से भरते कहा है जख्म भी,
भुलाये जो किस्से सुनाने मुझे है

©deshank sharma

मन को समेटे मैं बन जाऊ शायर, टूटे टुकड़े उठाने मुझे है दवातो से भरते कहा है जख्म भी, भुलाये जो किस्से सुनाने मुझे है ©deshank sharma

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