शुभ भोर वंदन
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ताले - तहखाने खुले , मंगल है यह काल ।
विचार -धीन थी याचिका, बीते दशकों साल ।
बीते दशकों साल , सत्य का पता चलेगा ।
मन्दिर-मस्जिद ढाल, तथ्य औ' साक्ष्य मिलेगा ।
खुल जायेगा राज, हटेंगे, दिल के जाले ।
सर्वे के सब साज , खुले बरसों के ताले ।
स्वरचित-
वर्षा बिष्ट
©pahadi Bisht
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