देखिए शहरों में अब वो ठहराव कहां है? है धूप | हिंदी शायरी

"देखिए शहरों में अब वो ठहराव कहां है? है धूप बहुत तेज़ अब वो छांव कहां है? फूलों को भी तो रौंदते हैं लोग देखिए, अब देखते नहीं हैं कि वो पांव कहां हैं? अब पूछता है कौन यहां हाल किसी का, इंसानियत की बात अब वो भाव कहां है? अपने ही अब लगे हैं अपनों को मारने, अब इससे बड़ा तुम कहो वो घाव कहां है? सब आ गए हैं जद में सब हो गए फरेबी, चंचल* शराफतों के अब वो गांव कहा हैं? ©Chanchal Hriday Pathak"

 देखिए शहरों  में  अब वो  ठहराव  कहां है?
है  धूप  बहुत  तेज़ अब वो छांव  कहां   है?

फूलों  को  भी  तो  रौंदते  हैं  लोग  देखिए,
अब  देखते  नहीं  हैं  कि वो  पांव  कहां  हैं?

अब पूछता  है कौन यहां हाल किसी  का,
इंसानियत  की बात  अब वो भाव कहां है?

अपने ही  अब  लगे हैं  अपनों  को  मारने,
अब इससे बड़ा तुम कहो वो घाव कहां है?

सब आ गए हैं जद में सब हो गए फरेबी,
चंचल* शराफतों के अब वो गांव कहा हैं?

©Chanchal Hriday Pathak

देखिए शहरों में अब वो ठहराव कहां है? है धूप बहुत तेज़ अब वो छांव कहां है? फूलों को भी तो रौंदते हैं लोग देखिए, अब देखते नहीं हैं कि वो पांव कहां हैं? अब पूछता है कौन यहां हाल किसी का, इंसानियत की बात अब वो भाव कहां है? अपने ही अब लगे हैं अपनों को मारने, अब इससे बड़ा तुम कहो वो घाव कहां है? सब आ गए हैं जद में सब हो गए फरेबी, चंचल* शराफतों के अब वो गांव कहा हैं? ©Chanchal Hriday Pathak

#छांव

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