White एक खामोशी है जो बात-बे-बात बाहर आना चाहती है | हिंदी कविता

"White एक खामोशी है जो बात-बे-बात बाहर आना चाहती है, एक सहमा सा बच्चे से दिल की एक कोने से चीर कर चुप्पी सारी तुम से हर बात कहना चाहती है, अब तलक दबी हर बात तुम से कव्हन चाहती है. दिल में मचा एक बवंडर सा है, मग़र पल भर में खामोशियाँ सारी एक चुप्पी सी बैठी है, समंदर से शांत चित्त मेरा नदी की धार सी चंचल मन है, बैचैनी प्रगाढ़ बसी सीने में, क्या तुम कभी समझ पाओगी जज़्बात मेरे, हालात जो मेरे है. ज़िम्मेदारियों के बोझ तले ख़ामोशियो से यारी सी हो गई, मार कर बचपना, बुढ़ापा अपना गई, एक ख़ामोशी है जो एक कोने में दम तोड़ गई. ©Avinash Jha"

 White एक खामोशी है जो
बात-बे-बात बाहर आना चाहती है,
एक सहमा सा बच्चे से दिल की एक कोने से
चीर कर चुप्पी सारी
तुम से हर बात कहना चाहती है,
अब तलक दबी हर बात
तुम से कव्हन चाहती है.
दिल में मचा एक बवंडर सा है,
मग़र पल भर में खामोशियाँ सारी
एक चुप्पी सी बैठी है,
समंदर से शांत चित्त मेरा
नदी की धार सी चंचल मन है,
बैचैनी प्रगाढ़ बसी सीने में,
क्या तुम कभी समझ पाओगी
जज़्बात मेरे, हालात जो मेरे है.
ज़िम्मेदारियों के बोझ तले
ख़ामोशियो से यारी सी हो गई,
मार कर बचपना, बुढ़ापा अपना गई,
एक ख़ामोशी है जो 
एक कोने में दम तोड़ गई.

©Avinash Jha

White एक खामोशी है जो बात-बे-बात बाहर आना चाहती है, एक सहमा सा बच्चे से दिल की एक कोने से चीर कर चुप्पी सारी तुम से हर बात कहना चाहती है, अब तलक दबी हर बात तुम से कव्हन चाहती है. दिल में मचा एक बवंडर सा है, मग़र पल भर में खामोशियाँ सारी एक चुप्पी सी बैठी है, समंदर से शांत चित्त मेरा नदी की धार सी चंचल मन है, बैचैनी प्रगाढ़ बसी सीने में, क्या तुम कभी समझ पाओगी जज़्बात मेरे, हालात जो मेरे है. ज़िम्मेदारियों के बोझ तले ख़ामोशियो से यारी सी हो गई, मार कर बचपना, बुढ़ापा अपना गई, एक ख़ामोशी है जो एक कोने में दम तोड़ गई. ©Avinash Jha

#sad_qoute #खामोशी हिंदी कविता

People who shared love close

More like this

Trending Topic