White न रंग ,न रूप। न जान ,न पहचान। फिर क्यों अचान | हिंदी शायरी

"White न रंग ,न रूप। न जान ,न पहचान। फिर क्यों अचानक से तु अपना लगता है। तेरे साथ गुजरता हर पल सपना लगता है। ऐसा लगता है कि बस घंटों तेरा हाथ थामे बताऊं, उम्र के इस मोड पे तेरा मिलना उम्मीद है। बस दिल को लगता है कि तू आस पास रहे। मैं जब बताना चाहूं तुम्हे की दुनिया कितनी बुरी है। मेरे होंठो पे तुम उंगली रख दो। कहो कि तेरी दुनिया मैं हूँ और मैं भूल जाऊं अपने दुःख। वो दुख जो शायद इसलिए आज तक जिंदा थे। तुम मुझे पसंद करो। ©निर्भय चौहान"

 White न रंग ,न रूप।
न जान ,न पहचान।
फिर क्यों अचानक से तु अपना लगता है।
तेरे साथ गुजरता हर पल सपना लगता है।
ऐसा लगता है कि बस घंटों तेरा हाथ थामे बताऊं,
उम्र के इस मोड पे तेरा मिलना उम्मीद है।
बस दिल को लगता है कि तू आस पास रहे।
मैं जब बताना चाहूं तुम्हे की दुनिया कितनी बुरी है।
मेरे होंठो पे तुम उंगली रख दो।
कहो कि तेरी दुनिया मैं हूँ और
मैं भूल जाऊं अपने दुःख।
वो दुख जो शायद इसलिए आज तक जिंदा थे।
तुम मुझे पसंद करो।

©निर्भय चौहान

White न रंग ,न रूप। न जान ,न पहचान। फिर क्यों अचानक से तु अपना लगता है। तेरे साथ गुजरता हर पल सपना लगता है। ऐसा लगता है कि बस घंटों तेरा हाथ थामे बताऊं, उम्र के इस मोड पे तेरा मिलना उम्मीद है। बस दिल को लगता है कि तू आस पास रहे। मैं जब बताना चाहूं तुम्हे की दुनिया कितनी बुरी है। मेरे होंठो पे तुम उंगली रख दो। कहो कि तेरी दुनिया मैं हूँ और मैं भूल जाऊं अपने दुःख। वो दुख जो शायद इसलिए आज तक जिंदा थे। तुम मुझे पसंद करो। ©निर्भय चौहान

#good_night

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