चिरागों से लिए लौ को अंधेरा भूल जाता है। लिए अश् | हिंदी Poetry

"चिरागों से लिए लौ को अंधेरा भूल जाता है। लिए अश्कों को नैनो में नजर से मुस्कुराता है। जहर नफरत का पलता है अँधेरी राह में लेकिन बसे अंधों की नगरी में सकल दर्पण दिखाता है। -सचिन चौहान ©Sachin Thakur"

 चिरागों से लिए लौ  को अंधेरा  भूल जाता है।
लिए अश्कों को नैनो में नजर से मुस्कुराता है।
जहर नफरत का पलता है अँधेरी राह में लेकिन 
बसे अंधों की नगरी में सकल दर्पण दिखाता है।
 
-सचिन चौहान

©Sachin Thakur

चिरागों से लिए लौ को अंधेरा भूल जाता है। लिए अश्कों को नैनो में नजर से मुस्कुराता है। जहर नफरत का पलता है अँधेरी राह में लेकिन बसे अंधों की नगरी में सकल दर्पण दिखाता है। -सचिन चौहान ©Sachin Thakur

#scared

People who shared love close

More like this

Trending Topic