भाई से अधिक प्यार दिया  माँ के जैसा दुलार किया कभी

"भाई से अधिक प्यार दिया  माँ के जैसा दुलार किया कभी न रोका न ही टोका सपनो को दिया पूरा मौका   बिन कहे हर बात समझना  खुशियों का ख्याल वो रखना  मिलकर ढेरों बातें करना  मेरे लिए कविता लिखना   पढ़ते-पढ़ते जब सो जाना  आपका वो चादर ओढाना जब भी होस्टल में मिलने आना आपकी आँखों का नम हो जाना  पहली दफा मेरा खाना बनाना  वो आपका टेबल फैन चलाना अविरल नयनों से अश्रु बहना जिस दिन मुझे विदा था करना आज भी जब याद आता है दिल द्रवित सा हो जाता है आज आप हमारे साथ नहीं हो लगता है फिर भी यहीं कहीं हो            --©किरण बाला, चण्डीगढ़ "

 भाई से अधिक प्यार दिया
 माँ के जैसा दुलार किया
कभी न रोका न ही टोका
सपनो को दिया पूरा मौका 

 बिन कहे हर बात समझना
 खुशियों का ख्याल वो रखना
 मिलकर ढेरों बातें करना 
मेरे लिए कविता लिखना 

 पढ़ते-पढ़ते जब सो जाना 
आपका वो चादर ओढाना
जब भी होस्टल में मिलने आना
आपकी आँखों का नम हो जाना 

पहली दफा मेरा खाना बनाना 
वो आपका टेबल फैन चलाना
अविरल नयनों से अश्रु बहना
जिस दिन मुझे विदा था करना

आज भी जब याद आता है
दिल द्रवित सा हो जाता है
आज आप हमारे साथ नहीं हो
लगता है फिर भी यहीं कहीं हो 

          --©किरण बाला, चण्डीगढ़ 

भाई से अधिक प्यार दिया  माँ के जैसा दुलार किया कभी न रोका न ही टोका सपनो को दिया पूरा मौका   बिन कहे हर बात समझना  खुशियों का ख्याल वो रखना  मिलकर ढेरों बातें करना  मेरे लिए कविता लिखना   पढ़ते-पढ़ते जब सो जाना  आपका वो चादर ओढाना जब भी होस्टल में मिलने आना आपकी आँखों का नम हो जाना  पहली दफा मेरा खाना बनाना  वो आपका टेबल फैन चलाना अविरल नयनों से अश्रु बहना जिस दिन मुझे विदा था करना आज भी जब याद आता है दिल द्रवित सा हो जाता है आज आप हमारे साथ नहीं हो लगता है फिर भी यहीं कहीं हो            --©किरण बाला, चण्डीगढ़ 

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