White पूरे समाज से पूछे रावण
केवल मैं ही अपराधी हूँ क्या?
क्यों हर वर्ष ही मुझे जलाते,
मैं इतना दुस्टाचारी हूँ क्या?
मैंने ऐसे राम भी देखे
जिनके मन में रावण है,
पर सीता को वो भी घूरे
राम के भेष में दानव है।
ऐसे कई विभीषण देखे
जिसने अपने घर को तोड़ा है
भाई के सँग घात किया
शत्रु से नाता जोड़ा है।
मैंने ऐसी सीता देखी
जो अपने राम की हुई नहीं
पर पुरुष को सदा लुभाती
खुद की नजरों में उठी नहीं।
कमियाँ सबकी भूल -भालकर
मुझमे दोष निकालते हो
दोहरे चरित्र वालों को तुम,
मेरी तरह क्यों नहीं जलाते हो।
मेरी एक त्रुटि के बदले
मुझे कष्ट दिया ही जाता है
हर दशहरे पर ही क्यों?
रावण दहन किया जाता है।
सपना परिहार ✍🏻
©Sapna Parihar
#Dussehra