It was raining outside तुम्हारी यादों की बारिश के | हिंदी कविता

"It was raining outside तुम्हारी यादों की बारिश के छींटे अचानक से भींगा जाते है पलकों को बिन मौसम की इस बरसात से महक उठती है स्मृतिवन की मिट्टी सौंधी सी । © Pallavi pandey"

 It was raining outside तुम्हारी
यादों की बारिश के छींटे
अचानक से भींगा जाते है पलकों को 
बिन मौसम की इस बरसात 
 से महक उठती है
स्मृतिवन की मिट्टी
सौंधी सी  ।

© Pallavi pandey

It was raining outside तुम्हारी यादों की बारिश के छींटे अचानक से भींगा जाते है पलकों को बिन मौसम की इस बरसात से महक उठती है स्मृतिवन की मिट्टी सौंधी सी । © Pallavi pandey

#rain

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