तुम मुरलीधर गिरधारी हो, तुम कान्हा, कृष्ण, मुरारी | हिंदी Poetry

"तुम मुरलीधर गिरधारी हो, तुम कान्हा, कृष्ण, मुरारी हो, तुम गोकुल के ग्वाले हो, तुम-ही तो हमसब के रखवाले हो। तुम सिया के राम हो, तुम ही राधा के श्याम हो। हर कड़- कड़ में तुम हो बसे, तुम ही मनुष्य और तुम ही भगवान हो। प्रेम और प्रीत की डोर तुम ही हो, गोपियों के प्यारे माखनचोर तुम ही हो, तेरी तो हर अदा ही निराली है कान्हा! माँ यशोदा के नटखट लाल और नंद के किशोर तुम ही हो। राधे-कृष्णा♥️ ©Alka Jaiswal"

 तुम मुरलीधर गिरधारी हो,
तुम कान्हा, कृष्ण, मुरारी हो,
तुम गोकुल के ग्वाले हो,
तुम-ही तो हमसब के रखवाले हो।

तुम सिया के राम हो,
तुम ही राधा के श्याम हो।
हर कड़- कड़ में तुम हो बसे,
तुम ही मनुष्य और तुम ही भगवान हो।

 प्रेम और प्रीत की डोर तुम ही हो,
गोपियों के प्यारे माखनचोर तुम ही हो,
तेरी तो हर अदा ही निराली है कान्हा!
माँ यशोदा के नटखट लाल और नंद के किशोर तुम ही हो।

राधे-कृष्णा♥️

©Alka Jaiswal

तुम मुरलीधर गिरधारी हो, तुम कान्हा, कृष्ण, मुरारी हो, तुम गोकुल के ग्वाले हो, तुम-ही तो हमसब के रखवाले हो। तुम सिया के राम हो, तुम ही राधा के श्याम हो। हर कड़- कड़ में तुम हो बसे, तुम ही मनुष्य और तुम ही भगवान हो। प्रेम और प्रीत की डोर तुम ही हो, गोपियों के प्यारे माखनचोर तुम ही हो, तेरी तो हर अदा ही निराली है कान्हा! माँ यशोदा के नटखट लाल और नंद के किशोर तुम ही हो। राधे-कृष्णा♥️ ©Alka Jaiswal

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