मेरी ज़िंदगी (में ओर मेरे एहसास) कुछ रुका कुछ सहमा | हिंदी कविता Video

"मेरी ज़िंदगी (में ओर मेरे एहसास) कुछ रुका कुछ सहमा सा हू मत पूछो किस तरह चल रहा सा हु  रिश्तों को जंज़ीरों में फसा हु में बस अपने है मन में फसा हु में बातो की जाल में फसा हु  मानो अपने ही दिल से खफा हु में जैसे  कोई दर्द से जूझ रहा हु में जैसे हर दर्द का हिस्सा हु में कभी बच्चा कभी बड़ा सा हु में जैसे कुछ कम कुछ ज्यादा सा हु में मेरे चारो तरफ शोर है पर में कुछ चुप सा हु में थोड़ा सा प्यार पाने की कतार में हु में कुछ पाने में , कुछ खोने की कतार में हु में मेरे हिस्से की खुशियों से भी दूर सा भाग गया हूं में कुछ ने समझा इस दिल को  कुछ ने ठग सा लिए इस दिल को  चलते चलते न जाने वही अटक सा गया हूं में ना जाने  खुद कही खो सा गया हूं में सब आसपास होते हुए भी कुछ ढूंढ रहा हु में भूलभुलैया सी मेरे ज़िन्दगी मे फसा सा हु में रात में जागता तारा ,दीन में दौड़ता इंसान हु में खूबसूरती अब भी है फिर भी ना जाने उदास सा हो गया हूं में बस इसी तरह रोज नई सुबह को जीता हु  कुछ सपने सँजोकर , कुछ सपने दफनाकर  ना जाने जिंदगी कितने खेल खेलेगी मेरे साथ  फिर भी में हार मानने वालों में से नही हु  बस थोड़ा सा उलझा हु , सुबह का सूरज हु में  बस में उस हाथो की लकीरों की तरह हु जैसे वो घिसती है वैसे में चम्मकता हीरा हु में  इस दिल को बार बार सहेजता हु में दुआओ से हर मुश्किल को आसान बना लेता हूं में  फिलाल इतनी सी मेरी जिंदगी की दास्तान है  बस इतना कहता हूं मेरी जिंदगी का एक किरदार हु में बस इतना कहता हूं मेरी जिंदगी का एक किरदार हु में                                          😊में ओर मेरे एहसास😊 ©Nikhalesh Maheshwari Shah Nik "

मेरी ज़िंदगी (में ओर मेरे एहसास) कुछ रुका कुछ सहमा सा हू मत पूछो किस तरह चल रहा सा हु  रिश्तों को जंज़ीरों में फसा हु में बस अपने है मन में फसा हु में बातो की जाल में फसा हु  मानो अपने ही दिल से खफा हु में जैसे  कोई दर्द से जूझ रहा हु में जैसे हर दर्द का हिस्सा हु में कभी बच्चा कभी बड़ा सा हु में जैसे कुछ कम कुछ ज्यादा सा हु में मेरे चारो तरफ शोर है पर में कुछ चुप सा हु में थोड़ा सा प्यार पाने की कतार में हु में कुछ पाने में , कुछ खोने की कतार में हु में मेरे हिस्से की खुशियों से भी दूर सा भाग गया हूं में कुछ ने समझा इस दिल को  कुछ ने ठग सा लिए इस दिल को  चलते चलते न जाने वही अटक सा गया हूं में ना जाने  खुद कही खो सा गया हूं में सब आसपास होते हुए भी कुछ ढूंढ रहा हु में भूलभुलैया सी मेरे ज़िन्दगी मे फसा सा हु में रात में जागता तारा ,दीन में दौड़ता इंसान हु में खूबसूरती अब भी है फिर भी ना जाने उदास सा हो गया हूं में बस इसी तरह रोज नई सुबह को जीता हु  कुछ सपने सँजोकर , कुछ सपने दफनाकर  ना जाने जिंदगी कितने खेल खेलेगी मेरे साथ  फिर भी में हार मानने वालों में से नही हु  बस थोड़ा सा उलझा हु , सुबह का सूरज हु में  बस में उस हाथो की लकीरों की तरह हु जैसे वो घिसती है वैसे में चम्मकता हीरा हु में  इस दिल को बार बार सहेजता हु में दुआओ से हर मुश्किल को आसान बना लेता हूं में  फिलाल इतनी सी मेरी जिंदगी की दास्तान है  बस इतना कहता हूं मेरी जिंदगी का एक किरदार हु में बस इतना कहता हूं मेरी जिंदगी का एक किरदार हु में                                          😊में ओर मेरे एहसास😊 ©Nikhalesh Maheshwari Shah Nik

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