राह सँभलकर चलने वाले,
मौसम देख बदलने वाले,
कहाँ गए घुंघराले बादल,
छत को देख मचलने वाले,
हुए कारवाँ में सब शामिल,
बीच राह में छलने वाले,
बचके चलना राह मुसाफ़िर,
आसपास हैं जलने वाले,
अभी चमकते आसमान में,
सूरज इनके ढ़लने वाले,
पिंजरे में ज्यों क़ैद परिन्दा,
लालच देख फिसलने वाले,
एकदिन मिट जायेंगे 'गुंजन',
आदत नहीं बदलने वाले,
--शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
समस्तीपुर बिहार
©Shashi Bhushan Mishra
#राह संभलकर चलने वाले#