a-person-standing-on-a-beach-at-sunset खोलती है पट | English कविता

"a-person-standing-on-a-beach-at-sunset खोलती है पट हृदय का, नित नई उम्मीद लेकर। और फिर है बंद करती, नायिका इक पीड़ लेकर। रूठती, खुद मान जाती,कब हुई है शादमानी। अंत जिसका है नहीं ,मैं क्यों लिखूं ऐसी कहानी...। अर्चना झा ✍️ ©Archana Jha"

 a-person-standing-on-a-beach-at-sunset खोलती है पट हृदय का, नित नई उम्मीद लेकर।
और फिर है बंद करती, नायिका इक पीड़ लेकर।
रूठती, खुद मान जाती,कब हुई है शादमानी।
अंत जिसका है नहीं ,मैं क्यों लिखूं ऐसी कहानी...।
अर्चना झा ✍️

©Archana Jha

a-person-standing-on-a-beach-at-sunset खोलती है पट हृदय का, नित नई उम्मीद लेकर। और फिर है बंद करती, नायिका इक पीड़ लेकर। रूठती, खुद मान जाती,कब हुई है शादमानी। अंत जिसका है नहीं ,मैं क्यों लिखूं ऐसी कहानी...। अर्चना झा ✍️ ©Archana Jha

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