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याद जब भी तेरी सताती है
अश्क आँखे मेरी बहाती है
दे के मन को तसल्लियां मेरे
गमसे लड़ना हमे सिखाती है
प्यार कितना है रूह से तेरी
खाब में आके वो बताती है
फूल मुरझा रहे बिना तेरे
ज़िन्दगी तुम्हे ही बुलाती है
कैसे झूठी हँसी हसूं अब में
जुस्तजू रात भर रुलाती है
कहने को तो अकेले ही हूँ मै
साथ यादें मगर निभाती है
( लक्ष्मण दावानी ✍ )
6/7/2017
©laxman dawani
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