बहोत ख़ूबसूरत गज़ल लिख रहा हूँ,
तुम्हे देखकर आजकल लिख रहा हूँ,
मिले कब कहाँ,कितने लम्हे गुजारे,
गिन गिनके वो सारे पल लिख रहा हूँ,
तुम्हारे जवां ख़ूबसूरत बदन का,
तराशा हुआ एक महल लिख रहा हूँ,
न पूछो मेरी बेकरारी का आलम,
मै रातों को करवट बदल लिख रहा हूँ।
#GoodMorning❤️
©Parveen Bhardwaj
#andhere