क्या नहीं और ग़ज़नवी कारगह-ए-हयात में
बैठे हैं कब से मुंतज़िर अहल-ए-हरम के सोमनात!
ज़िक्र-ए-अरब के सोज़ में, फ़िक्र-ए-अजम के साज़ में
ने अरबी मुशाहिदात, ने अजमी तख़य्युलात
क़ाफ़िला-ए-हिजाज़ में एक हुसैन भी नहीं
©noshad meerut
क्या नहीं और ग़ज़नवी कारगह-ए-हयात में
बैठे हैं कब से मुंतज़िर अहल-ए-हरम के सोमनात!
ज़िक्र-ए-अरब के सोज़ में, फ़िक्र-ए-अजम के साज़ में
ने अरबी मुशाहिदात, ने अजमी तख़य्युलात