क्या नहीं और ग़ज़नवी कारगह-ए-हयात में बैठे हैं क | हिंदी विचार

"क्या नहीं और ग़ज़नवी कारगह-ए-हयात में बैठे हैं कब से मुंतज़िर अहल-ए-हरम के सोमनात! ज़िक्र-ए-अरब के सोज़ में, फ़िक्र-ए-अजम के साज़ में ने अरबी मुशाहिदात, ने अजमी तख़य्युलात क़ाफ़िला-ए-हिजाज़ में एक हुसैन भी नहीं ©noshad meerut"

 क्या नहीं और ग़ज़नवी कारगह-ए-हयात में 

बैठे हैं कब से मुंतज़िर अहल-ए-हरम के सोमनात! 

ज़िक्र-ए-अरब के सोज़ में, फ़िक्र-ए-अजम के साज़ में 

ने अरबी मुशाहिदात, ने अजमी तख़य्युलात 

क़ाफ़िला-ए-हिजाज़ में एक हुसैन भी नहीं

©noshad meerut

क्या नहीं और ग़ज़नवी कारगह-ए-हयात में बैठे हैं कब से मुंतज़िर अहल-ए-हरम के सोमनात! ज़िक्र-ए-अरब के सोज़ में, फ़िक्र-ए-अजम के साज़ में ने अरबी मुशाहिदात, ने अजमी तख़य्युलात क़ाफ़िला-ए-हिजाज़ में एक हुसैन भी नहीं ©noshad meerut

क्या नहीं और ग़ज़नवी कारगह-ए-हयात में

बैठे हैं कब से मुंतज़िर अहल-ए-हरम के सोमनात!

ज़िक्र-ए-अरब के सोज़ में, फ़िक्र-ए-अजम के साज़ में

ने अरबी मुशाहिदात, ने अजमी तख़य्युलात

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