शीर्षक - तुम्हारी छुअन 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ तुम्हारे छु | हिंदी कविता Video

"शीर्षक - तुम्हारी छुअन 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ तुम्हारे छुअन से पता ही नहीं चलता फूर्र से ' पंख फैलाकर , मन कहाँ उड़ जाता है तुम्हारा आना करीब पाना - तुम्हारी सोच का छुअन पाना तुम्हारी हंसी का छुअन पाना तुम्हारी नज़र का छुअन पाना तुम्हारी शरारतों का छुअन पाना आत्मसात हो जाता है जैसे मेरा अस्तित्व तुम्हारे संग मैं , मैं सा नहीं रहता तब तुम , तुम सा नहीं रहती , सच में हमारे बीच प्रेम अलौकिक नृत्य करता है डरता हूं सच में मन ही मन उन पलो को जीने के बाद बिछरण के विरह से भ्रमीत होकर । तुम्हारे जाने के बाद, ढूंढता हूं तुम्हें ख्यालों की समंदर में - अपने होंठो पर अंकित तुम्हारे चुंबन में चाय के कप पर तुम्हारी छुअन में चादर में मौजूद सिलवटों पर , आईने पर भूली बिंदी जैसे तुम्हारी रूह मुझे हर पल तकती रहती है सच में क्योंकि - न जाने क्यों तुम थोड़ा सा खुद को मेरे पास भूल आती हो बार - बार और हर बार अपनी छुअन मेरे डायरी पर लिख जाती हो .... @निशीथ ©Nisheeth pandey "

शीर्षक - तुम्हारी छुअन 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ तुम्हारे छुअन से पता ही नहीं चलता फूर्र से ' पंख फैलाकर , मन कहाँ उड़ जाता है तुम्हारा आना करीब पाना - तुम्हारी सोच का छुअन पाना तुम्हारी हंसी का छुअन पाना तुम्हारी नज़र का छुअन पाना तुम्हारी शरारतों का छुअन पाना आत्मसात हो जाता है जैसे मेरा अस्तित्व तुम्हारे संग मैं , मैं सा नहीं रहता तब तुम , तुम सा नहीं रहती , सच में हमारे बीच प्रेम अलौकिक नृत्य करता है डरता हूं सच में मन ही मन उन पलो को जीने के बाद बिछरण के विरह से भ्रमीत होकर । तुम्हारे जाने के बाद, ढूंढता हूं तुम्हें ख्यालों की समंदर में - अपने होंठो पर अंकित तुम्हारे चुंबन में चाय के कप पर तुम्हारी छुअन में चादर में मौजूद सिलवटों पर , आईने पर भूली बिंदी जैसे तुम्हारी रूह मुझे हर पल तकती रहती है सच में क्योंकि - न जाने क्यों तुम थोड़ा सा खुद को मेरे पास भूल आती हो बार - बार और हर बार अपनी छुअन मेरे डायरी पर लिख जाती हो .... @निशीथ ©Nisheeth pandey

#Chhuan
शीर्षक - तुम्हारी छुअन
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तुम्हारे छुअन से पता ही नहीं चलता
फूर्र से ' पंख फैलाकर ,
मन कहाँ उड़ जाता है

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