वो और लोग थे, जो मिटते चले गये। हमसे तो हमारे अपने | हिंदी शायरी

"वो और लोग थे, जो मिटते चले गये। हमसे तो हमारे अपने ही, छुटते चले गये।। सफ़र में थोड़ी चूक क्या हो गई हमसे, रहजनों ने हमको, लूटते चले गये।। ©KaviRaj bhatapara"

 वो और लोग थे, जो मिटते चले गये।
हमसे तो हमारे अपने ही, छुटते चले गये।।
सफ़र में थोड़ी चूक क्या हो गई हमसे,
रहजनों ने हमको, लूटते चले गये।।

©KaviRaj bhatapara

वो और लोग थे, जो मिटते चले गये। हमसे तो हमारे अपने ही, छुटते चले गये।। सफ़र में थोड़ी चूक क्या हो गई हमसे, रहजनों ने हमको, लूटते चले गये।। ©KaviRaj bhatapara

#rain

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