सब कुछ मिल जाता हैं जिंदगी में,
पर... मोहबत की हर कहानी अधूरी होती हैं।
ये प्यार का सफर भी इतना ही है,
फिर तो सिर्फ़ आंखें ही रोती है।
दूरियां बढ़ जाती हैं,
लेकिन यादें ताज़ा रहती हैं।
ये मोहबत ही ऐसी होती हैं....
नशे की तरह फैल जाती हैं,
पर पास न किसी के टिक पाती हैं।
कोई मोहबत करता नहीं हैं,
पर हो जाती हैं।
ये मोहबत ही ऐसी होती हैं....
अपना न होकर भी अपना मान लेती हैं।
हर डगर पे जो साथ देने का वादा करती हैं,
टूट जाते है सब महोबत वाले सपने,
क्योंकि ये बहुत जल्दी बिछड़ जाती हैं।
ये महोबत ही ऐसी होती हैं.....
पहले बहुत करीब आती हैं,
हर जहन में यू बस जाती हैं,
किसी को अकेला छोड़,
किसी ओर पे फ़िदा हो जाती हैं।
ये मोहबत ही........
©आधुनिक कवयित्री
ये महोबत....