White सियासत की बिसात पे बिकते रहे इंसान,
सच को खामोश कर, झूठ को खुदा बना रखा है।
मंदिर-मस्जिद की दीवारें ऊंची कर लीं,
मगर दिल के आंगन को खाली बना रखा है।
इंसानियत के नाम पर खेलते हैं खेल,
सच कहो तो खुद को गुनहगार बना रखा है।
जिस किताब में लिखा था अमन का पैगाम,
उसी को हथियार बना रखा है।
©नवनीत ठाकुर
सियासत