कभी अख़रा नहीं अकेलापन मुझे, उस पल क्यों अख़रा इतना
जो मन रहता है खुश सदा, उस पल क्यों बिखरा इतना
अकेले नहीं हो तुम, साथ हूं मैं चाहे दुःख हो कितना
ये कह सबको विश्वास दिलाया, चाहे समय हो कितना
हमेशा साथ खड़े हो कर सबको सहारा दिया इतना
रखा मन को मजबूत सदा चाहे समय हो बुरा कितना
हर कोई अपना है मेरा, मन में विश्वास था इतना
पता चला अकेले होने पर, कौन है अपना कितना
मदद करे मेरी कोई, नहीं किसी के पास वक्त इतना
न रुके अश्क इन आँखों से, कोशिश करूँ मैं जितना
इन खुदगर्ज़ लोगों से मेरा कहना है बस इतना
खड़े हो मिटा दो अकेलापन, नहीं है जब जिगरा इतना
तो क्यों करते हो अपनेपन का झूठा दिखावा इतना
बेगाने बन अपनेपन का तुमने सिला दिया अच्छा इतना
महज़ हाल चाल पूछ लिया, हो गया क्या फ़र्ज़ इतना?
समझाते मेरे पिता मुझे, बेटा नहीं है कोई अपना इतना
सबको अपना सगा समझ भ्रम रखती है तू जितना
करो पिता क्षमा मुझे, नहीं माना आपका कहना
सब को अपना समझने का अफसोस हुआ मुझे इतना!
©Prerna Shukrayawal
#akelapan