White वो रस्ते तर्क करता हूं वो मंजिल छोड़ देता ह | हिंदी शायरी

"White वो रस्ते तर्क करता हूं वो मंजिल छोड़ देता हूं , जहां इज्जत नहीं मिलती वो महफिल छोड़ देता हूं। मैं रिश्ते यूं नही रखता कभी रखा कभी छोड़ा जिसे मैं छोड़ देता हूं मुसलसल छोड़ देता हूं ।। ©USKA SHAYAR"

 White वो रस्ते तर्क करता हूं वो मंजिल  छोड़ देता हूं ,
जहां इज्जत नहीं मिलती वो महफिल छोड़ देता हूं।
मैं  रिश्ते यूं नही रखता कभी रखा कभी छोड़ा 
जिसे मैं  छोड़  देता  हूं  मुसलसल छोड़ देता हूं ।।

©USKA SHAYAR

White वो रस्ते तर्क करता हूं वो मंजिल छोड़ देता हूं , जहां इज्जत नहीं मिलती वो महफिल छोड़ देता हूं। मैं रिश्ते यूं नही रखता कभी रखा कभी छोड़ा जिसे मैं छोड़ देता हूं मुसलसल छोड़ देता हूं ।। ©USKA SHAYAR

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