आपकी नादानी की हद क्या है जनाब आप हमे ठुकरा कर हमस | हिंदी Shayari
"आपकी नादानी की हद क्या है जनाब
आप हमे ठुकरा कर हमसा कोई शकश ढूंढ रहे हो
आज क्यूं हमारी यादों में इस क़दर डूब रहे हो
किस हक से ना बात करने पे तुमसे
मुझसे यूं रूठ रहे हो....🖤"
आपकी नादानी की हद क्या है जनाब
आप हमे ठुकरा कर हमसा कोई शकश ढूंढ रहे हो
आज क्यूं हमारी यादों में इस क़दर डूब रहे हो
किस हक से ना बात करने पे तुमसे
मुझसे यूं रूठ रहे हो....🖤