"सुमित शर्मा
मेरी फांसी मुकर्रर होने पर वो मुस्कुराई बहुत
न जाने कौन सा वहम उसके सर चढ़ गया है
तेरे जाने के बाद जीने की तमन्ना तो यूं भी ना थी
अरे वो शख्स तो मेरे हक में फैसला कर गया है"
सुमित शर्मा
मेरी फांसी मुकर्रर होने पर वो मुस्कुराई बहुत
न जाने कौन सा वहम उसके सर चढ़ गया है
तेरे जाने के बाद जीने की तमन्ना तो यूं भी ना थी
अरे वो शख्स तो मेरे हक में फैसला कर गया है