हद से बढ़ी उड़ान की ख्वाहिश तो यूँ लगा जैसे कोई परों | हिंदी कविता

"हद से बढ़ी उड़ान की ख्वाहिश तो यूँ लगा जैसे कोई परों को कतर रहा है..!!✍️ ©Dharma pandit( Unbreakable)"

 हद से बढ़ी उड़ान की ख्वाहिश तो यूँ लगा
जैसे कोई परों को कतर रहा है..!!✍️

©Dharma pandit( Unbreakable)

हद से बढ़ी उड़ान की ख्वाहिश तो यूँ लगा जैसे कोई परों को कतर रहा है..!!✍️ ©Dharma pandit( Unbreakable)

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