White कितनी कठिन होती होंगी वो राहें?
जहां से गुजर कर"मुजाहिद"बनते हैं,
कितनी महक होती होगी उस बाग में?
जिसकी गोद में ऐसे कुसुम खिलते हैं,
लाख कोशिशें नाकाम हों,
फिर भी संघर्ष में मिलते हैं,
कितना भी शक्तिशाली हो शत्रु,
कहां अंगद के पांव हिलते हैं?
आए भूचाल या हो समर जीवन का,
"मुजाहिद"कहां डर से दहलते हैं?
क्या ही किस्मत होगी उन मांओं की?
जिनके कोख में ऐसे लाल पलते हैं।
©Mayank
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