Unsplash इस ज़माने से कर बैठे रुसवाई हैं,
आज महफ़िल में बस तन्हाई हैं।
तुम्हे तो मेरे आंसू नहीं दिखाई दिए,
तुमसे मिलने की प्रीत अब पराई है।
जो बांधे थे मिलकर मन्नत के धागे,
कहां बची अब ये दिल की सगाई है।
तुम्हारा दिया दर्द अब तक नासूर है,
इस गहरे दर्द की काश कोई दवाई है।
अकेले है हम दुनिया की भीड़ में,
देर से समझ आई हमें ये सच्चाई है।
©Meenakshi
#sad_shayari 'दर्द भरी शायरी'