सपना क्या है और क्या है हकीक़त,
कल रात इक सपना देखा था
अभी तक वो एहसास मन को छू रहे है
वो पल जीये थे तेरे संग सपने में,
ये वो मुलाकात थी जो हकीकत नही थी,
मगर हकीकत सी थी
और एक वो मुलाकात याद है मुझे,
जो हकीकत थी,
जब हम मिले थे, रूबरू
मगर तुम्हारे चले जाने के बाद
यकीन ही नहीं कर पा रही थी,
क्या सचमुच वो तुम ही थे
कभी कभी ऐसा होता है न
.वक्त बीत जाने के बाद
सपना हकीकत सा लगता है
और हकीकत सपनों सी लगने लगती है
क्या फर्क होता है वो मिलने …न मिलने में
…उस रूहानी एहसास में
यही सोच रही हूं मैं...सुमन
©Suman Rakesh Shah
कई रात में देखे हुए सपने हमारी यादों में यूं बस जाते है कि वर्षो बीत जाने पर भी स्मृति पटल पर ज्यों के त्यों छाए रहते है। और कुछ हकीकत बीत जाने के बाद ऐसा एहसास कराती है की जैसे हम सपना देख कर जागे है, खुद को बार बार पूछते है, ये सच था या सपना