सपनों से कह दो,
की आया ना करें।
सपनों में आने वाले,
सपनों में ही रह गए।
उम्मीद की सुनहरी,
आस थी जो कभी,
टूटी इस कदर,
कि टुकड़े भी,
टुकड़ों में बिखर गए।
सपनों को न भायी,
दुनियां की दुनियादारी,
लो! मौत हुई उन सपनों की,
और तुम खो गए!
✍🏻 लक्ष्मी कौशल
©Lakshmi Kaushal
#और_तुम_खो_गए