कभी यूं ही राहों में चलते चलते मुझसे मेरी मुलाकात होगी,
तो सोचती हू क्या और कैसी उससे बात होगी।
उसे मुझसे उम्मीदें और मुझे उससे शिकायते बहुत होगी।
क्या हम दोनो मिलकर खुशी से मुस्कुराएंगे,
या अपनी दुनिया में वापस मुड़ जायेगे।
कितना उलझन भरा होगा वो लम्हा,
जब हम एक दूसरे के कंधे पर सर रख आंसू बहायेगे।
बंद आंखों के ये सपने ख्यालों की दुनिया के,
हकीकत के शोर से एक पल में टूट जायेगे।
(चाहत)
©Chahat Kushwah