हम तुम्हे कभी गुलाब नही देंगे.. किताबों में पड़े ग | हिंदी विचार

"हम तुम्हे कभी गुलाब नही देंगे.. किताबों में पड़े गुलाब सूख जाते हैं..... और जैसे जैसे वो सूखते हैं.... सूखता जाता है आपस का प्रेम..... हमें गुलाबों के सूखने से डर लगता है..... हाँ कभी मौका मिला तो मैं जरूर देंगे तुम्हे मोर का एक पंख तुम उसे संभाल के रख लेना प्रेम की किताब के एकदम बीचो बीच.... मोर के पंख कभी सूखते नहीं.... बचपन में सुना था किताबों में मोर का पंख रखने से.....अच्छी रहती याददाश्त.... और यूँ भी....भूलने की आदत बहुत है तुम् ©Shivangi Priyaraj"

 हम तुम्हे
कभी गुलाब नही देंगे..

किताबों में पड़े गुलाब सूख जाते हैं.....

और जैसे जैसे वो सूखते हैं.... 
सूखता जाता है आपस का प्रेम.....

हमें गुलाबों के सूखने से डर लगता है.....
हाँ कभी मौका मिला
तो मैं जरूर देंगे तुम्हे मोर का एक पंख

तुम उसे संभाल के रख लेना
प्रेम की किताब के एकदम बीचो बीच....

मोर के पंख कभी सूखते नहीं....
बचपन में सुना था
किताबों में मोर का पंख रखने से.....अच्छी रहती याददाश्त....

और यूँ भी....भूलने की आदत बहुत है तुम्

©Shivangi Priyaraj

हम तुम्हे कभी गुलाब नही देंगे.. किताबों में पड़े गुलाब सूख जाते हैं..... और जैसे जैसे वो सूखते हैं.... सूखता जाता है आपस का प्रेम..... हमें गुलाबों के सूखने से डर लगता है..... हाँ कभी मौका मिला तो मैं जरूर देंगे तुम्हे मोर का एक पंख तुम उसे संभाल के रख लेना प्रेम की किताब के एकदम बीचो बीच.... मोर के पंख कभी सूखते नहीं.... बचपन में सुना था किताबों में मोर का पंख रखने से.....अच्छी रहती याददाश्त.... और यूँ भी....भूलने की आदत बहुत है तुम् ©Shivangi Priyaraj

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