थी एक दोस्त
(दीपा )
*************
किसकी बात कर रही हो
अरे यार दोस्त के बारे ऐसा नहीं कहते
हा यही तो दुख हैँ
अब दीपा नहीं रही...
सन्न थे ग्रुप के सभी दोस्त
सहेलियां थे हम
बचपन से जवानी तक
साथ रहे है हम
फिर अपनी दुनिया मे गुम
रोज घर परिवार
पुराने दिनों के किस्से कहानिया
थोड़ी मस्ती और शरारत
और फिर एक दिन डरा देने वाली
खबर किसी ने लिखा
पता है अपनी शैतान बीमार है
वो बड़ी परेशानी मे है
हम पांच सहेलियों मे से एक
सबने दुआएं कि
बोला यार तू घबराना मत
हिम्मत रखना डार्लिंग!
तू तो हम सबकी जान है
तुझे कुछ नहीं होगा
लेकिन एक दर्द उभरा
चंद दिन पहले लिखा नहीं डिअर
अब मेरा समय करीब है
और फिर एक सितम्बर
आज़ ही के दिन
दीपा मेरी जान!
हम सबकी पावर हाउस
हर बात पर मस्ती
शरारत का कोई मौका नहीं छोड़ती
नाम भी कितना सुंदर दीपा..
जिसकी जलना ही नियति थी
याकायाक बुझ गयी...
दोस्त क़ो स्नेह भरा आलिंगन
काश! हम सब साथ होते
और एक बार फिर गले मिलते
एक तस्वीर तेरी पसंद से खिचवाते
हा! नियति ने मुझे तुमसे चंद दिन पहले मिलने का मौका दिया था
मैं भाग्यशाली हूं..
अपने यार को मिल पाया
तू जहाँ भी रहेगी दमकती रहेगी
हा हम सारे दोस्त तुम्हे मिस करेँगे
हा तुझे..मुझे अपने घर लाने का वादा अधूरा रहा गया
माफ़ी चाहती हूं
लेकिन तेरी हर बात न्यारी थी
यार तू हमारी प्यारी दोस्त थी..सदा रहोगी
मगर एक शिकायत ऊपर वाले से
इतनी जल्दी भी क्या थी
अभी तो दीपा क़ो
काफ़ी कुछ सवारना था
बाबू के जीवन मे उजाला भरना था
ये तेरा न्याय ठीक नहीं..
और भगवान आपसे एक मिन्नत है
मेरी ही नहीं हमारी जान क़ो अपने चरणों मे जगह देना
बहुत प्यारी है वो हा बहुत प्यारी है
तुझे इस कदर लिखना अच्छा नहीं लगता और
अब इतनी हिम्मत नहीं कि तुझे और लिख पाऊं...
अश्रुपूरित नयन, बेकल मन से तुझे नमन करती। हुँ
🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🙏🙏🙏
©ranjit Kumar rathour
एक थी दोस्त (दीपा )