ये कैसा मज़ाक है की वों मेरा होना चाहता है लेकिन | हिंदी कविता

"ये कैसा मज़ाक है की वों मेरा होना चाहता है लेकिन ऐसा होगा नहीं ये बात हमको खूब पता है फासला है मेरे दरम्यान और फिर उसे जाना भी है ये उसने ही कहा है फिर भी मेरा होना चाहता है साथ चाहता है बचे वक्त संग मेरे जीना चाहता है कही ऐसा न हो कि उसे छोड़ना मुश्किल हो जाए डरता हूँ मेरी ख्वाइश मे उसके सपने बिखर न जाये अपनी नहीं उसकी सोच घबराता हूँ और इसी सोच के साथ तुम्हे तुम्हारे हाल पर छोड़ जाता हूँ हा छोड़ जाता हूँ ©ranjit Kumar rathour"

 ये कैसा मज़ाक है 
की वों मेरा होना चाहता है 
लेकिन ऐसा होगा नहीं 
ये बात हमको खूब पता है 
फासला है मेरे दरम्यान 
और फिर उसे जाना भी है 
ये उसने ही कहा है 
 फिर भी मेरा होना चाहता है 
साथ चाहता है 
बचे वक्त संग मेरे जीना चाहता है 
कही ऐसा न हो कि 
उसे छोड़ना मुश्किल हो जाए 
डरता हूँ मेरी ख्वाइश मे 
उसके सपने बिखर  न जाये
अपनी नहीं उसकी सोच घबराता हूँ 
और इसी सोच के साथ तुम्हे 
तुम्हारे हाल पर छोड़ जाता हूँ 
हा छोड़ जाता हूँ

©ranjit Kumar rathour

ये कैसा मज़ाक है की वों मेरा होना चाहता है लेकिन ऐसा होगा नहीं ये बात हमको खूब पता है फासला है मेरे दरम्यान और फिर उसे जाना भी है ये उसने ही कहा है फिर भी मेरा होना चाहता है साथ चाहता है बचे वक्त संग मेरे जीना चाहता है कही ऐसा न हो कि उसे छोड़ना मुश्किल हो जाए डरता हूँ मेरी ख्वाइश मे उसके सपने बिखर न जाये अपनी नहीं उसकी सोच घबराता हूँ और इसी सोच के साथ तुम्हे तुम्हारे हाल पर छोड़ जाता हूँ हा छोड़ जाता हूँ ©ranjit Kumar rathour

छोड़ जाता हूँ

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