स्याह रातों की वाबस्तगी से डरा हुआ हूं ज़िंदा हूं | हिंदी Shayari Vide

"स्याह रातों की वाबस्तगी से डरा हुआ हूं ज़िंदा हूं पर ज़िंदगी से डरा हुआ हूं एक तरफ़ वो जो रौशन है सितारों सा एक तरफ़ मैं जो रोशनी से डरा हुआ हूं ज़िंदगी में सबकुछ होने की तसल्ली है फिर भी एक तेरी कमी से डरा हुआ हूं तुम्हारी रंजिश मेरा मसअला नहीं है दोस्त मैं तो तुम्हारी दोस्ती से डरा हुआ हूं जब से छूटा है तेरा हाथ मेरे हाथ से "जग्गी" अजीब है मैं हर आदमी से डरा हुआ हूं ©Jagjeet Singh Jaggi... ख़्वाबगाह...! "

स्याह रातों की वाबस्तगी से डरा हुआ हूं ज़िंदा हूं पर ज़िंदगी से डरा हुआ हूं एक तरफ़ वो जो रौशन है सितारों सा एक तरफ़ मैं जो रोशनी से डरा हुआ हूं ज़िंदगी में सबकुछ होने की तसल्ली है फिर भी एक तेरी कमी से डरा हुआ हूं तुम्हारी रंजिश मेरा मसअला नहीं है दोस्त मैं तो तुम्हारी दोस्ती से डरा हुआ हूं जब से छूटा है तेरा हाथ मेरे हाथ से "जग्गी" अजीब है मैं हर आदमी से डरा हुआ हूं ©Jagjeet Singh Jaggi... ख़्वाबगाह...!

#darkness

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