(करवाचौथ) सदा सुहागन रहूं हे माता विनती सुनो हम | हिंदी कविता

"(करवाचौथ) सदा सुहागन रहूं हे माता विनती सुनो हमार लंम्बी उमरिया पिया की हो करती रहूं श्रृंगार सदा सलामत रहे पिया जी अर्चन करूं तोहार सात जन्म रहें साथ पिया का मेरा जीवन तार ©Krishna Shrivastav(राज़)"

 (करवाचौथ)



सदा सुहागन रहूं हे माता विनती सुनो हमार

लंम्बी उमरिया पिया की हो करती रहूं श्रृंगार

सदा सलामत रहे पिया जी अर्चन करूं तोहार

सात जन्म रहें साथ पिया का मेरा जीवन तार

©Krishna Shrivastav(राज़)

(करवाचौथ) सदा सुहागन रहूं हे माता विनती सुनो हमार लंम्बी उमरिया पिया की हो करती रहूं श्रृंगार सदा सलामत रहे पिया जी अर्चन करूं तोहार सात जन्म रहें साथ पिया का मेरा जीवन तार ©Krishna Shrivastav(राज़)

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