White आंखें भुल नहीं रहीं वह दर्दनाक मंजर जब कि | हिंदी शायरी

"White आंखें भुल नहीं रहीं वह दर्दनाक मंजर जब किसी ने विश्वास का छुरा भोंका था । कैसे भूल जाऊं मैं उस पल उस कातिल को मेरे बेटे ने तड़प - तड़प कर दम तोड़ा था। सुमन झा माहे गोरखपुर ©jha madam Classes"

 White आंखें भुल नहीं रहीं  वह  दर्दनाक  मंजर
जब किसी ने विश्वास का छुरा भोंका था ।

कैसे भूल जाऊं मैं उस पल उस कातिल को 
मेरे बेटे ने तड़प -  तड़प कर दम तोड़ा था।

सुमन झा माहे गोरखपुर

©jha madam Classes

White आंखें भुल नहीं रहीं वह दर्दनाक मंजर जब किसी ने विश्वास का छुरा भोंका था । कैसे भूल जाऊं मैं उस पल उस कातिल को मेरे बेटे ने तड़प - तड़प कर दम तोड़ा था। सुमन झा माहे गोरखपुर ©jha madam Classes

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