White फख़्त ये आजमा लेना, भले दस्तूर जो भी हो।
निहायत इश्क होगा तो, चांद बदनाम भी होगा।।
बदलते मौसमों का एक कुनबा साथ है मेरे,
फ़िदायीन रात जाने दो, मुबारक़ शाम भी होगा।
मंजिल दूर जरा ख्वाबों की फेहरिस्त है लंबी,
मुसाफ़िर आज हैं तो क्या, हमारा नाम भी होगा।
मुद्दतों की तंगदस्ती से कुछ पल का ही रिश्ता है,
मुश्किल आज है तो, कल सफ़र आसान भी होगा।।
©Vishwas Pradhan
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